अगर पृथ्वी सूरज के Size जितनी बड़ी हो जाए तो?

क्या होगा अगर हमारी धरती सूरज जीतनी बड़ी हो?

शायद कई लोगो को लगता होगा कि हमारी धरती इतनी छोटी क्यों है। मतलब क्या होता अगर हमारी धरती सूरज जितनी बड़ी हो जाती। अगर हम किसी जुपिटर की साइज जितने ग्रह पर रह रहे होते तो कितना बढ़िया होता। तो चलिए आज हम पृथ्वी की साइज को 3 लाख 30 हजार गुना बढ़ाकर उसे सीधे सूरज के साइज का बना देते हैं। लेकिन हम सिर्फ हमारी पृथ्वी को ही एक्सपैंड करने वाले है उसके resources को नहीं बढ़ाने वाले। ऐसे में हमारे पृथ्वी के resources से छेड़छाड़ करना सही नहीं होगा।

दोस्तों हमारे धरती का 71% हिस्सा पानी से घिरा हुवा है, जैसे के हमने पहले ही माना था के हम resources के साथ छेड़छाड़ नहीं करने वाले। इसलिए धरती की साइज को एक्सपैंड करने पर पानी उतना ही रहेगा जितना आज है। अब अगर पानी धरती के 71% को cover करता है तो बड़े बड़े समंदर ऐसे लगेंगे जैसे तेज बारिश आने पर बाढ़ का पानी सड़कों पर आ गया हो। नदिया ऐसी लगेंगी जैसे बारिश के बाद गड्ढे। अब आप सोच रहे होंगे की इनको कितना भी स्ट्रेच कर लो पानी तो उनमे उतना ही रहेगा ना।

धरती का जीवन कैसा होगा? हमे किन किन मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा?

यहां आपको ढेर सारी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ सकती हैं। अगर आपने बचपन में थोड़ी बहुत भी science मन लगाकर पढ़ी है तो आप जानते ही होंगे कि Surface Area Increase करने पर Evaporation का रेट भी Increase होता है। मतलब जब हम Area को increase कर रहे हैं तो सूरज की रोशनी भी ज्यादा area में पड़ेगी। ऐसा अगर होता है तो आप जानते ही हो के सूरज की रौशनी ज्यादा area में पड़ने पर ज्यादा पानी भाप में बदल जायेगा।

इन सबके बीच पानी में रहने वाले बड़े-बड़े जीव जैसे कि व्हेल्स और शार्क जहाज़ की तरह हो जाएंगे मतलब इनका आधा शरीर पानी में होगा तो आधा पानी से बाहर। ज्यादा हीट बढ़ने के कारण पानी का temperature बढ़ जाएगा और समुद्र की गहराइयों में रहने वाले cold blooded animals हमेशा के लिए इस धरती से विलुप्त हो जायेंगे।

ये effect सिर्फ पानी में रहने वाले जीवो पर ही नहीं पड़ेगा बल्कि जमीन पर रहने वाले जीवों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ज़हीर सी बात है कि जमीन का Area बढ़ने पर वह भी अच्छी खासी स्ट्रेस होने वाली है। इसके कारण जमीन और पानी के बीच के डिस्टेंस बहुत बहुत ज्यादा बढ़ जायेंगे। ऐसे में जमीन पर रहने वाले जानवरों को पानी तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा ट्रैवल करना पड़ेगा और Water Resources के आसपास ही अपनी जरूरत की सारी चीजें ढूंढनी होगी। वैसे जमीन पर सिर्फ जानवर ही नहीं रहते हम इंसान भी तो रहते हैं दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है।

यह बात तो साफ़ है कि हम इंसानों को जानवरों के मुकाबले में ज्यादा Problems face करनी पड़ेगी। अब आपका कहना होगा इंसानों को रहने के लिए काफी ज्यादा Area मिल जाएगा, प्रॉपर्टी के रेट गिर जाएंगे, भीड़भाड़ वाली जगह खत्म हो जाएंगी और हर तरफ आराम ही आराम होगा। वैसे तो ये सब होगा ही लेकिन इसके लिए हमें काफी कुछ खोना भी होगा।

ज़रा आप सोचिए हम अगर धरती का Area ज्यादा बढ़ा देते हैं तो धरती के Surface पर Soil यानी कि मृदा वह कितनी कम बचेगी। अब इतने कम Soil से शायद ही हम इतनी बड़ी population की जरूरतों को पूरा कर पाएंगे। क्यो की इस दुनिया में रहने वाला हर एक इंसान खाना कहा से प्राप्त करेगा। खाना सिर्फ plants से ही मिलता है और plants Soil के बिना खाना बना ही नहीं सकते। अगर वो खाना बनाएंगे नहीं तो Animals और Humans जिंदा नहीं रह पाएंगे।

ट्रांसपोर्टेशन पर क्या असर होगा?

दोस्तों आज हम एक शहर से दूसरे शहर जाते है तो आपको काफी कम डिस्टेंस तय करना पड़ता है और समय भी कम लगता है। क्योंकि इन दोनों शहरों के बीच का डिस्टेंस अभी काफी कम है। लेकिन अगर धरती सूरज के बराबर हो गई तो दो शहरों के बीच का डिस्टेंस भी काफी बढ़ जाएगा। मतलब एक शहर से दूसरे शहर जाने में काफी टाइम भी लगेगा। ऐसे में हमें पूरी दुनिया घूमने का सपना तो छोड़ ही देना चाहिए।

अब हम आपको fuel consumption और cost की तरफ लाना चाहेंगे। दोस्तों इस परिस्थिति में Transportation बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है तो इसमें fuel काफी ज्यादा लगेगा और बहुत पैसे भी लगेंगे। ऐसे में हमारे नेचुरल resources भी बहुत ज्यादा तेजी से ख़त्म हो जाएंगे। 

Universe पर क्या असर होगा?

दोस्तों हमारे धरती का मास सूरज जितना बढ़ जाएगा तो gravity भी 28 गुना ज्यादा Increase हो जाएगी। इससे होगा यह कि अगर आज आपका वजन 100 किलोग्राम है तो आपका वजन 2800 किलोग्राम होने वाला है। अब gravity ज्यादा होने से आप लंबे समय तक जिंदा तो रह सकोगे। लेकिन इतने भारी शरीर के साथ शायद आपको लंबे समय तक जीना पसंद ना आए। इस धरती पर जितने भी ऊंचे ऊंचे पर्वत है वह Extra Gravity का सामना नहीं कर सकेंगे। यहां तक कि ऊंचे पेड़ भी गिर जाएंगे।

अब बात करते हैं पूरे सोलर सिस्टम में होने वाले प्रभाव की,  दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया था कि सूरज हमारे सोलर सिस्टम का 99.86% मास occupies करता है।

लेकिन अगर सोलर सिस्टम में सूरज की साइज के दो object होंगे तो धरती और सूरज दोनों ही 99% से ज्यादा का मास occupies कर लेंगे। इतनी बड़ी धरती तो आज के समान सूरज के चक्कर काटने वाली नहीं है। तो धरती और सूरज एक साथ किसी Binary Star System की तरह काम करेंगे। धरती और सूरज के बीच मरकरी और वीनस का क्या होने वाला है वह हमे नहीं लगता कि वह हमारे imagine करने के लिए एक्जिट कर पाएंगे। लेकिन अगर बात करें मार्स की तो यह धरती के चारों ओर चक्कर काटने लगेगा यानी हमारा दूसरा चांद बन जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो शायद मार्स भी ख़त्म हो जाएगा।

हमारा एकमात्र नेचुरल सैटेलाइट यानी कि हमारा चांद इतने बड़े पृथ्वी के पास adjust नहीं कर पाएगा और वो भी ख़त्म हो जाएगा। मार्स और जुपिटर के बीच मौजूद astroid belt पर भी बहुत जोर का gravitational पूल लगाने वाला है। और धरती पर astroid की बारिश हर दिन हर घंटे होने वाली है। यहां तक कि जुपिटर और सैटर्न जैसे बड़े-बड़े प्लेनेट ऑर्बिट को स्टेबल रखने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी।

सरल शब्दों में कहें तो पूरे सोलर सिस्टम में उथल-पुथल मच जाएगी। इसका सीधा असर ये होगा कि हम इंसान और धरती पर रहने वाले सारे जीव यहां जिंदा नहीं बच पाएंगे।

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