राधाकिशन दमानी जी की सफलता की कहानी | Radhakishan Damani Success Story in Hindi

Stock Market Investor, Stockbroker, Trader और D-Mart कंपनी के फाउंडर राधाकिशन दमानी वैसे तो बहुत कम लाइमलाइट में रहते हैं। लेकिन एक मामूली Stockbroker से भारत के चौथे सबसे अमीर इंसान बनने तक की उनकी कहानी किसी को भी Motivate कर सकती है।

वैसे Scam 1992 के जरिए आप लोगों ने हर्षद मेहता के बारे में तो जान लिया। लेकिन क्या आपको पता है इसी वेब सीरीज़ के अंदर माहेश्वरी नाम का जो किरदार है वो राधाकिशन दमानी जी पर ही है। दरअसल एक छोटे से किराए के मकान से किस तरह राधाकिशन दमानी आज भारत के सबसे अमीर इंसानो में से एक बने। आज हम इसी के बारे में आपको बताने वाले है। 

राधाकिशन दमानी जी का जन्म जनवरी 1954 में मुंबई के अंदर रहने वाले एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवकृष्ण दमानी था, जो कि उस समय के स्टॉक मार्केट ब्रोकर हुआ करते थे। तब उनका परिवार मुंबई के एक छोटे से रूम के अपार्टमेंट में रहता था।

इसके अलावा परिवार में उनके भाई गोपी किशन दमानी भी थे। जो की उम्र में राधाकिशन दमानी जी से बड़े थे। राधाकिशन दमानी जी ने अपने स्कूल की पढ़ाई मुंबई से ही की और फिर उसके बाद बीकॉम की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई में एडमिशन ले लिया।

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वैसे तो वो पढाई में बहुत अच्छे थे लेकिन थे तो वह भी एक मारवाड़ी ही। इसीलिए वह पढ़ाई जल्द छोड़कर अपना खुद का Business शुरू करना चाहते थे। फिर आखिरकार उन्होंने 1 साल पढ़ाई करने के बाद से कॉलेज छोड़ दिया और खुद का एक छोटा सा Business शुरू किया।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत Ball Bearings के एक Business से की थी। उस समय में उनका Stock Market में जाने का दूर-दूर तक कोई भी इरादा नहीं था। हालांकि राधाकिशन दमानी जी अभी आपने Business की नींव ही तैयार कर रहे थे तभी अचानक उनके पिताजी का देहांत हो गया। 

पिता के इस तरह अचानक गुजर जाने का उनको बहुत गहरा सदमा पहुंचा। जो कि उनका Business अभी तक ठीक से जम भी नहीं पाया था। इसलिए पिता के बिना उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। जिसके बाद से मजबूरी में दमानी जी को अपना Business बंद करके Stock Market में एक Broker के तौर पर खड़ा होना पड़ा।

क्योंकि उनके बड़े भाई Stock Market में पहले से ही एक Broker के रूप में काम कर रहे थे। इसलिए उन्होंने अपने भाई को Join कर लिया। हालांकि 27 से 28 साल की उम्र तक उन्हें मार्केट की कोई भी अच्छी नॉलेज नहीं थी। लेकिन अगले कुछ साल मार्केट को अच्छे से समझने के बाद उनका नाम भी उस समय के Top Brokers में शामिल किया जाने लगा। 

हालांकि कुछ साल इसी तरह से Stock Broker के तौर पर काम करने के बाद उन्हें यह समझ आ गया था कि कुछ बड़ा करने के लिए उन्हें सिर्फ एक Broker ही नहीं बल्कि एक Investor भी बनना पड़ेगा। यह विचार मन में आने के बाद उन्होंने Investing के गुणों को सीखना शुरू कर दिया। दोस्तों जिस समय Stock Market में उन्होंने अपनी लाइफ का पहला Investment किया था तब उनकी उम्र 32 साल थी। हालांकि सभी लोगों की तरह ही उन्हें भी शुरुआत में नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन फिर आगे लगातार सीखने के बाद उनकी गिनती सबसे बेस्ट Investor में भी की जाने लगी।  

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बहरहाल अभी तक हमने जाना था कि किस तरह से राधाकिशन दमानी अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद एक फेमस Stock Broker और Investor बने। लेकिन वह 80 के दशक में Stock Broker के सबसे बड़े और सबसे खतरनाक ऑपरेटर Manu Manek से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे। दरअसल Manu Manek Stock Market में शॉर्ट सेलिंग करके प्रॉफिट कमाया करता था। उस समय बड़ी-बड़ी कंपनियां भी Manu Manek के सिर्फ नाम से ही खौफ खाया करती थी। क्योंकि उसके अंदर यह काबिलियत थी की अपने फायदे के लिए वह किसी भी कंपनी के शेयर को बहुत कम समय में ही आसमान से सीधा जमीन पर ला पटकता था। 

असल में Manu Manek के शॉर्ट सेलिंग करने का अपना एक अलग ही अंदाज था। राधाकिशन जी भी उसी तरीके को ही सीखना चाहते थे। फिर इसके लिए वह Manu Manek के साथ जुड़ गए। शॉर्ट सेलिंग के गुण सीखने के बाद से राधा किशन जी भी Stock Market में Manu Manek की Strategies को अपनाने लगे। इस तरह से उन्होंने पहले से भी कई गुना ज्यादा प्रॉफिट कमाया। लेकिन उनके लिए समस्या तब शुरू हो गई जब मार्केट में हर्षद मेहता की एंट्री हुई। क्योंकि हर्षद मेहता किसी भी Stock को Manipulate करके कीमतों को सीधा जमीन से आसमान पर पहुंचा देता था। 

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जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि राधाकिशन जी Manu Manek की तरह ही मार्केट में शॉर्ट सेलिंग करके प्रॉफिट कमाया करते थे। शॉर्ट सेलिंग से प्रॉफिट तभी होता है जब किसी भी Stock का प्राइस नीचे की तरफ जाता है। ऐसे में जब हर्षद मेहता मार्केट को Manipulate कर किसी भी Stock की प्राइस को बढ़ा देता था। इससे राधाकिशन जी को बहुत ही ज्यादा नुकसान होता था। इसी वजह से हर्षद और पूरे Bear Cartel के बीच में एक लड़ाई सी छिड़ गई थी। उस समय Bear Cartel में राधाकिशन दमानी जी के अलावा राकेश झुनझुनवाला और राजू चार्टिस्ट भी शामिल थे। इन तीन लोगों के ग्रुप को उस समय 3 R’s के नाम से जाना जाता था। 

राधाकिशन जी के Bear Cartel और हर्षद मेहता के Bull Cartel के बीच यह जंग कई सालों तक चलती रही। इस लड़ाई में कभी हर्षद की जीत होती तो कभी दमानी की। आखिरकार कई साल तक यह उठापटक चलने के बाद इस लड़ाई का अंत 1992 में तब हुआ जब हर्षद मेहता स्कैम दुनिया के सामने आया। इस स्कैम के सामने आने पर ही इस लड़ाई में दमानी जी और उनके Bear Cartel की जीत हो गई।

जिसके चलते मार्केट के अंदर राधाकिशन दमानी जी का दबदबा और भी ज्यादा बढ़ चुका था। दोस्तों जिस तरह से दमानी जी ने Manu Manek को अपना गुरु माना था। ठीक वैसे ही राकेश झुनझुनवाला भी दमानी जी को अपना गुरु मानते थे। वैसे हम आपको बता दें कि इस समय राकेश झुनझुनवाला भी भारत के सबसे बड़े और सबसे फेमस Businessman की लिस्ट में शुमार किए जाते हैं।

इतना ही नहीं लोग तो उन्हें भारत का Warren Buffett कह कर बुलाते हैं। लेकिन इसके बावजूद आज भी वह राधाकिशन दमानी जी को ही अपना गुरु मानते हैं। हर्षद मेहता का स्कैम सामने आने के बाद से दमानी जी ने कुछ समय तो शांति से बिताया। लेकिन बाद में इस स्कैम का असर उनके ऊपर भी पड़ने लगा था। दरअसल इस स्कैम की वजह से राधाकिशन दमानी जी के ऊपर भी तरह-तरह के आरोप लगने शुरू हो गए थे। इन आरोपों से बचने के लिए उन्हें कुछ ऐसे कड़े फैसले लेने पड़े जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा। 

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यहां तक कि एक समय वह Bankrupt होने की कगार पर पहुंच गए थे। यही समय था जब Stock Market को छोड़कर उन्होंने अपना कोई Business शुरू करने का सोचा था। दमानी जी को शुरुआत से ही कंज्यूमर कंपनी के प्रति एक लगाव सा था और इस Business के बारे में उन्हें थोड़ी बहुत जानकारी भी थी। इसलिए वह इससे मिलता-जुलता ही कोई Business शुरू करना चाहते थे। फिर साल 1999 में उन्होंने दामोदर मॉल के साथ मिलकर अपना बाजार नाम का एक कॉपरेटिव डिपार्टमेंट स्टोर खरीद लिया था। लेकिन उन्हें इसका Business मॉडल पसंद नहीं आया। जिसके चलते उन्होंने कुछ और करने के बारे में सोचना शुरू किया। 

वह अमेरिका की सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन वॉलमार्ट से काफी ज्यादा प्रभावित थे। वैसा ही वह कुछ भारत में भी शुरू करना चाहते थे। अब क्योंकि इस Business के बारे में उन्हें कोई खास जानकारी नहीं थी। इसलिए इसको समझने के लिए वह कई बार अमेरिका भी गए। साल 2002 में जब उन्हें लगा कि वह इस Business के बारे में अच्छी तरह से समझ चुके हैं। तब उन्होंने D-Mart कंपनी की शुरुआत की। लेकिन दमानी जी के पास उस समय अपने बिजनेस में लगाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे। जिसकी वजह से उन्हें से एक स्टोर खोलकर ही Business की शुरुआत करनी पड़ी। D-Mart का पहला शोरूम मुंबई शहर के पवली में खोला गया था। 

लेकिन शुरुआत भले ही छोटी थी पर उन्हें यकीन था कि वह एक दिन इसको भारत की सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन बनाएंगे। अपने मन में यह विश्वास लेकर वह इस स्टोर को चलाने और अपने Business को बढ़ाने में जुट गए। अपनी मेहनत के दम पर वह धीरे-धीरे अपने स्टोर्स की गिनती बढ़ाते चले गए। जिसके चलते सिर्फ कुछ ही सालों में D-Mart भारत की सबसे बड़ी हाइपरमार्केट कंपनी में से एक बन गई। अब अगर आज की बात करें तो इस समय पूरे देश में D-Mart के लगभग 220 स्टोर मौजूद है। इस Business के बदौलत ही राधाकिशन दमानी आज भारत के चौथे सबसे अमीर इंसान बन चुके हैं। उनकी नेटवर्थ आज के समय में 15.4 billion-dollar है।

तो दोस्तों ये थी कहानी D-Mart कंपनी के फाउंडर राधाकिशन दमानी जी की। 

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