Google EAT मतलब “Expertise Authoritativeness Trustworthiness” इसके बारे में हमारा एक और आर्टिकल है जिसमे हमने काफी आसान language में बताया था की EAT क्या है।
आज हम EAT के बारे में कुछ advance देखेंगे, EAT के बारे में क्या गलत है? Google ने इसे क्यों बनाया है? और अपनी Website के में EAT के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए। हाल ही में EAT में एक change हुआ है और उसे भी आज हम देखने वाले है।
अगर आपने EAT के पहले article को नहीं पढ़ा है तो उसे पढ़ ले, ताकि आपको इस आर्टिकल को समझने में थोड़ी आसानी हो।
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Google EAT तीन words का combination है “Expertise Authoritativeness Trustworthiness” यानि की कोई website किसी field के बारे में जो जानकारी देती है वो उसमे कितनी Expert है, कितनी Authority है और कितना Trust किया जा सकता है।
EAT कोई एक Algorithm नहीं है मतलब ऐसा कोई एक एक Algorithm नहीं है जो आपकी website को देख कर EAT Score देता हो। असल में Google के बाहर किसी website के EAT Score को चेक करने का कोई तरीका नहीं है। साथ ही EAT कोई Ranking Factor भी नहीं है।
Wait, क्या सच में EAT कोई Ranking Factor नहीं है? हां सही पढ़ा EAT Ranking Factor नहीं है!
अब आपके दिमाग में एक सवाल आ रहा होगा की अगर EAT Ranking Factor नहीं है तो हम किस ख़ुशी में अपना टाइम इसके पीछे बर्बाद कर रहे है। EAT अपने आप में Ranking Factor नहीं है लेकिन Ranking Factors EAT की तरफ जा रहे है।
Confuse होने की जरुरत नहीं है हम इसे काफी आसान से example से समझते है
एक school में teacher चाहता है की उनके क्लास के सभी students अच्छे बच्चे बने। तो वो अपने students को कहते है की अच्छे बच्चे बनो, लगातार एक महीने तक वो बच्चो से कहते है की अच्छे बच्चे बनो। लेकिन students पर कोई असर नहीं पड़ता। क्यों? क्योंकि बच्चो को पता ही नहीं है की अच्छा बच्चा बनने का मतलब क्या है।
Teachers को ये बात समझ आती है और वो उन बच्चो को बोलते है की तुम्हे तीन काम रोज करने है।
- रोज टाइम पर school आना होगा
- रोज अपना होमवर्क करना होगा
- और अपने पेरेंट्स की सभी बाते माननी होगी
अब students को पता चल गया है की उन्हें अच्छा बच्चा बनने के लिए क्या करना है और क्या नहीं करना है। सभी students teachers की वो तीन बातो को मान कर अच्छे बच्चे बन जाएंगे।
यही कहानी Google और SEO’s की है। Google काफी सालों से कहता चला आ रहा है की website पर Quality Content डालो। लेकिन SEO’s ऐसा नहीं कर पा रहे है क्योंकि उन्हें नहीं पता है की google किस content को quality content मानता है। गूगल खुद भी इस quality content टर्म को explain नहीं कर पा रहा था।
क्योंकि websites लाखो types की होती है, हर industry के ऊपर site है, उसके topic टॉपिक के अंदर subtopic के ऊपर websites है। जब इस quality content टर्म को google explain नहीं कर पाया तो उसने तीन parameters को बनाया। जिसके बेस पर website को देखा जाता है और वो है Expertise Authoritativeness Trustworthiness
अगर ये तीनो चीजे एक web page में है तो कंटेंट का भरोसा किया जा सकता है और गूगल इसमें successful भी हो गया। लोग quality content पर इतना ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे और जो दे रहे थे वो ये नहीं समझ रहे थे की quality content क्या है। लेकिन EAT आने के बाद से लोग अपने कंटेंट को इन तीनो पॉइंट्स के ऊपर चेक करने लगे। जिससे गूगल ने content के ऊपर लोगो का ध्यान लाना शुरू कर दिया।
एक natural पॉइंट आता है की अगर EAT ideal है तो ये ranking factor क्यों नहीं है अभी तक। इसका आसान सा जवाब है की इसकी जरुरत नहीं है।
Quality content एक टारगेट हो सकता है लेकिन इसका tool नहीं बनाया जा सकता। हम अपने school वाले example पर वापस आते है, अगर हमारा teacher बच्चो को सिर्फ अच्छा होने के मार्क्स देने लगे तो सभी बच्चे शांति से मुस्कुराते हुए class में बैठे रहेंगे। लेकिन हो सकता है वो पढाई न करे, वो देर तक जागते रहे और सुबह school देर से पोहचे। इसी तरह सिर्फ content का अच्छा होना काफी नहीं है।
Google धीरे-धीरे अपने ranking signals को इस तरह से ट्वीक कर रहा है की जो website बेहतर rank कर रही है उनका कंटेंट अच्छे EAT वाले pages जैसा होता जा रहा है। तो गूगल indirectly अपने ranking factors को EAT के साथ match कर रहा है, सीधे EAT को ranking factor नहीं बना रहा है।
अब तक हमने देखा की EAT की क्या जरुरत है और क्या ये Ranking Factor है भी या नहीं। अब देखते है की EAT के तीनों parts क्या-क्या है
Content के लिहाज़ से website के तीन पार्ट्स होते है
- Main Content
- Writer of Main Content
- Website
EAT के भी तीन पार्ट्स होते है
- Expertise
- Authoritative
- Trustworthiness
Expertise: कंटेंट लिखने वाले की होती है। जो website के content को लिखता है वो जिस भी टॉपिक पर लिखता है वो अपने field में कितना expert है ये इससे पता चलता है।
अगर कोई कंटेंट किसी web page पर है तो उसका writer कौन है, क्या वो अपने फील्ड का expert है या नहीं, क्या उस person को उस फील्ड की सही नॉलेज है। ये सब Expertise factor में आता है।
Google ने आर्टिकल के schema data में author पेज का लिंक जोड़ना शुरू कर दिया है। गूगल अब इस expertise पार्ट को details में समझना चाह रहा है। ये ऑथर link किसी दूसरे website का भी हो सकता है। ऐसे में गूगल किसी एक person का लिखा हुआ कंटेंट पुरे internet पर पहचान सकता है। अगर उस राइटर को गूगल अपने फील्ड में expert मानता है तो उसे बेहतर तरीके से rank करेगा।
Authoritative: कंटेंट लिखने वाले की भी होती है, Main कंटेंट की भी होती है और Website की भी होती है।
Authority को पहचानने के लिए गूगल काफी सारे signals को इस्तेमाल करता है, लेकिन इनमे सबसे जरुरी पार्ट reviews है। तो किसी website के लिए या किसी पेज के लिए या उस पेज को लिखने वाले ऑथर के reviews को गूगल इंटरनेट पर ढूंढ़ता है। आगाज-अगल sites, portals और उस राइटर पेज और authority को बनता है।
Trustworthiness: ये भी कंटेंट राइटर, Main कंटेंट के साथ-साथ Website इन तीनो की होती है।
क्या main कंटेंट लिखने वाला web page या website भरोसा करने लायक है। Trustworthiness का सबसे अच्छा तरीका है वेबसाइट पर contact information देना, address देना, social media profiles के लिंक देना। कंटेंट के राइटर के लिए author का होना, ऑथर पेज पर contact information का होना जरुरी है।
कुछ website के लिए शायद contact information देना पॉसिबल न हो, लेकिन finance, medical, banking, insurance, law, e-commerce, ये कुछ ऐसे फील्ड है जिसमे फिजिकल contact information होना जरुरी है।
EAT सिर्फ YMYL साइट्स के ऊपर applicable नहीं होता है बल्कि हर टाइप के website के ऊपर apply होता है। तो चाहे आपकी साइट किसी भी चीज के बारे में क्यों न हो आपको EAT के ऊपर काम करना चाहिए।