हम Aeroplane से अंतरिक्ष में क्यों नही जा सकते ?

हम Aeroplane से अंतरिक्ष में क्यों नही जा सकते ?

हर दिन औसतन 1 लाख से भी ज्यादा commercial और uncommercial Airplane दुनिया के किसी ना किसी कोने से उड़ान भरते है। आसमान में उड़ने के बाद वापस किसी जगह लैंड कर जाते है। आंकड़ों के अनुसार Airplane ट्रांसपोर्टेशन का सबसे सेफ मोड है। क्योंकि इसमें डेथ रेट बाकी ट्रांसपोर्टेशन मोड से काफी कम होती है। मुझे Airplane बचपन से ही बहुत पसंद है। क्योंकि इसके जरिए हमें ऊंचाई से एक अलग ही दुनिया देखने को मिलती है। 

लेकिन बचपन में मेरे दिमाग में अक्सर एक सवाल आता था, कि आखिर हम Airplane की मदद से स्पेस में क्यों नहीं जा पाते हैं? आप में से कई लोगों के मन में यह सवाल ज़रूर आता होगा कि आखिर क्यों हम Airplane के जरिए अंतरिक्ष में नहीं जा पाते हैं। तो आज हम इसी के बारे में बात करने वाले है। 

एयरक्राफ़्ट कितने प्रकार के होते है?

अगर बात की जाए एयरक्राफ़्ट की तो एयरक्राफ़्ट कई प्रकार के होते है। जैसे Airplane, jet planes, helicopters, quadcopters और भी बहुत से होते है। पहले ये पता कर लेते है की Airplane कैसे उड़ते है।

Aeroplanes कैसे उड़ते है ? 

Airplanes में उड़ान भरने के लिए मुख्य रूप से दो चीजें होती है। पहली Airplane की लंबी चौड़ी विंग जो प्लेन को ऊपर की ओर लिफ्ट करती है और दूसरा उसका भारी-भरकम इंजन, जो Airplane को Thrush देता है। जिससे वह आगे की ओर बढ़ सके।

दैनिक प्लेन को उड़ने के लिए मुख्य रूप से दो चीजों की जरूरत होती है। पहला Air Medium जो प्लेन के विंग से टकरा कर उसे ऊपर की ओर लिफ्ट करते है और दूसरा ऑक्सीजन जो फ्यूल को जलाने में मदद करता है। आपको शायद पता ही होगा की बिना ऑक्सीजन के आग को जलाया नहीं जा सकता। ये दोनों ही हमारे atmosphere में मौजूद है।

Aeroplane कितने ऊपर तक उड़ सकते है ?

अधिकांश passenger A

Airplane में jet propulsion engine लगे होते हैं। लेकिन हर Airplane का एक निर्धारित flying altitudes होता है। आमतौर पर commercial airplane 45000 फीट यानी 13 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ते हैं। लेकिन कुछ कॉरपोरेट जेट्स 51000 फीट की ऊंचाई तक भी उड़ पाते हैं। 

सतह पर हमारा atmosphere अच्छा खासा होता है। लेकिन जैसे-जैसे हम सतह से ऊपर की और जाते है, कम ग्रैविटी के कारण atmosphere पतला और पतला होता जाता है। पतला atmosphere मतलब कम हवा का दबाव और बेहद कम ऑक्सीजन। एयर मॉलिक्यूल्स में कमी यानि Airplane को ऊपर लिफ्ट करना मुश्किल और ऑक्सीजन में कमी यानि इंजन में फ़्यूल को जलने में परेशानी। इससे इंजन चाहिए जितना Thrush पैदा नहीं कर पाएगा। जिसके कारण Airplane हवा में बैलेंस नहीं कर पाएगा। 

Karman line क्या होती है ?

Karman line यानि वो अदृश्य Boundary जो हमारे धरती के atmosphere और outer space को अलग करती है। ये Boundary समुद्र की सतह से 100 किलोमीटर ऊंचाई पर होती है और इस Boundary से बाहर यानि 100 किलोमीटर ऊंचाई पर जाने पर आप outer space में होंगे। जहां से बाह्य वायुमंडल की शुरुआत होती है। यानि समुद्र की सतह से 3 लाख 28 हजार 84 फीट ऊपर। 

सबसे high उड़ान भरने वाला विमान कौन सा था और उसे किसने उड़ाया था ?

एक commercial एयरक्राफ़्ट Karman line के आसपास भी नहीं जा सकता। लेकिन कुछ खास तरह के planes इससे हाय altitudes तक जा चुके हैं। 31 अगस्त 1977 एक Soviet test pilot “Aleksandr Fedotov” ने ऐतिहासिक MiG-25 फाइटर प्लेन को ऐतिहासिक altitudes तक ले गए थे।

उन्होंने उस फाइटर प्लेन को समुद्र की सतह से करीब 37650 मीटर यानी करीब 37 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले गए थे। जो कि ज़मीन से भरी गई उड़ान का हाईएस्ट रिकॉर्ड altitudes है। लेकिन ये ऊंचाई भी Karman line का एक तिहाई है। इस ऊंचाई तक जाने के लिए पायलट को एक खास तरह का सूट पहनना पड़ता है, जिसके साथ ऑक्सीजन मास्क लगे होते है।

साल 1963 में एक अमेरिकन पायलट Joseph A. Walker ने तीन उड़ने भरी थी। जिसमें से दो बार उन्होंने X-15 फ्लाइट 90 और X-15 फ्लाइट 91 के जरिए Karman line को भी पार किया था। फ्लाइट 90 mission जो 19 जुलाई 1963 में किया गया था। उसमें उन्होंने 106 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की थी। 

फ्लाइट 91 mission 22 अगस्त 1963 को किया गया था। उसमे उन्होंने 108 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की थी। इसके बाद Walker को astronaut का नाम दिया गया। क्योंकि उन्होंने स्पेस Boundary को पार किया था। X-15 एक स्पेस एक्सपेरिमेंटल प्लेन था, जो NASA और US एयरफोर्स दोनों मिलकर ऑपरेट कर रहे थे।

X-15 खास तरह से डिज़ाइन किये गए होते थे जिनमे रॉकेट इंजन लगे होते थे। लेकिन X-15 प्लेन को तकरीबन 45000 फीट की ऊंचाई तक B-52 bomber प्लेन के जरिए ऊपर ले जाना पड़ता था। जहां से वो आगे उड़ान भर पाते थे। कोई नार्मल Airplane इस ऊचाई को कभी पार नहीं कर पाया। क्योंकि Airplane उड़ान भरने के लिए atmosphere पर डिपेंडेंट होते है। इन्हें उड़ने के लिए ऑक्सीजन और atmosphere चाहिए होता है। जैसे जैसे हम ऊंचाई की तरफ बढ़ते हैं atmosphere पतला होता जाता है। 

रॉकेट बिना Oxygen और Atmosphere के स्पेस में कैसे जाता है ?

दरअसल रॉकेट के अंदर रॉकेट फ़्यूल के अलावा उसे जलते रहने के लिए ऑक्सीजन टैंक भी लगे होते है। मतलब रॉकेट फ़्यूल को जलाने के लिए atmosphere के ऑक्सीजन पर डिपेंड नहीं होता। इसलिए ये आराम से बिना atmosphere के भी चल पाते हैं और रॉकेट को गति दे पाते हैं। लेकिन यही ख़ासियत रॉकेट को काफी भारी भरकम बना देता है।

किसी भी चीज को पूरी तरह स्पेस में जाने के लिए धरती के escape velocity को पार करना होता है। मतलब वो minimum velocity जिसके जरिए धरती के ग्रेविटेशनल फील्ड को पार किया जा सके। धरती की escape velocity है करीब 11.2 किलो मीटर पर सेकंड।

यानी किसी भी स्पेस क्राफ्ट को कम से कम 11.2 किलो मीटर पर सेकंड की स्पीड पकड़नी होगी। तब जाकर वो धरती के खिचाव से बाहर निकल पाएगा। रॉकेट को ये स्पीड लेने के लिए अपने साथ ढेर सारा फ़्यूल और ऑक्सीजन ले जाना पड़ता है। इससे रॉकेट का वजन भी उतना ही बढ़ जाएगा। 

उम्मीद करते है आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा। 

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