ख़राब वेबसाइट क्यों रैंक करती है?

गूगल Black Hat SEO इस्तेमाल करने वाली वेबसाइट को क्यों पसंद करता है या रैंक करता है?

देश, दुनिया, रंग, भाषा इन सबसे ऊपर एक सवाल कि आखिर गूगल इतनी सारी पॉलिसी, गाइडलाइंस और पेनल्टी आने के बाद भी खराब वेबसाइट को क्यों रैंक कराता है? हर SEO’s  के मन में ये सवाल कैरियर में कभी ना कभी ज़रूर आता है। एक्सपीरियंस SEO’s इस सवाल के टेक्निकल सोल्यूशन ढूंढने की कोशिश करते हैं। एक्सपर्ट से सलाह लेते हैं। लेकिन नए SEO’s इसे समझने के चक्कर में गलत इंफॉर्मेशन का शिकार हो जाते हैं। 

गूगल बेकार साइट को क्यों रैंक करता है यह समझने के लिए हमें देखना होगा कि आखिर गूगल कैसे काम करता है ? किन फैक्टर्स को इंपॉर्टेंस देता है ? उससे भी पहले एक कंफ्यूजन को दूर करने की जरूरत है।

नए ब्लॉगर कौनसी गलतियां करते है?

एक बार क्या होता है कि एक बावला इंसान, पागल इंसान एक साइंटिस्ट के लैब में घुसने का मौका पा जाता है। वह साइंटिस्ट का कोट पहन कर घूमने लगता है। एक टेबल पर एक मेंढक रखा होता है। पागल सोचता है की जब मैंने कोट पहन लिया है, तो मैं साइंटिस्ट बन चुका हूं और साइंटिस्ट बन चुका हूं तो मुझे एक एक्सपेरिमेंट कर लेना चाहिए। वह मेंढक की एक टाँग को काट देता है और उसे पिन चुभाता है। मेंढक तीन टांगो पर उछल जाता है। पागल दूसरी और तीसरी टाँग को भी काट देता है और फिर से पिन चुभाता है। मेंढक फिर से किसी तरह उछलता है। 

अब पागल मेंढक की चौथी टाँग को भी काट देता है और फिर से पिन चुभाता है। अब मेंढक कैसे उछलेगा टाँग तो है नहीं, क्या करें बिचारा। पागल साइंटिस्ट का Notepad उठाता है और उसमें नोट लिख देता है कि चारों टांगे कटने के बाद मेंढक बहरा हो जाता है। अब अगर आप खुद मेंढक को देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा उसकी टांगे ही नहीं है, उसके कान ठीक-ठाक है। लेकिन अगर साइंटिस्ट की नकल कर रहे पागल की बात सुनेंगे और उसके एक्सपेरिमेंट को मानेंगे तो आप हमेशा मेंढक के कान का इलाज ढूंडते रह जाएंगे। बहुत सारे SEO’s और Bloggers मेंढक के कान का इलाज ढूंढ रहे हैं। अपनी साइट के SEO को और ज्यादा नुकसान करने से रोकने के लिए सबसे पहले गलत एडवाइस लेना बंद करके। 

SEO रॉकेट साइंस नहीं है और इतना भी आसान नहीं है कि आप 10 घंटे के कोर्स में सीख जाएंगे। अब आते है हमारे मुद्दे की तरफ, जो है कि आखिर खराब वेबसाइट को अच्छी रैंक क्यों मिल जाती है। कुछ केसेस में ये सही होता है, गूगल खुद Lacuna Problem का शिकार है। Lacuna Problem का मतलब होता है इंफॉर्मेशन गॅप, जब भी कोई इंफॉर्मेशन ठीक ना हो, सभी साइट की इनफार्मेशन ठीक न हो। तो गूगल सर्च रिजल्ट पेज में मेरे को क्या पता ये नहीं दिखा सकता है। उसे सर्च results देने ही है, तो वो जो भी sites-available होती हैं जिसमे रिलेटेड इनफार्मेशन है। उन्हें सर्च रिजल्ट में दिखाने की कोशिश करता है।

साइट ओनर सोचता है मैंने किसी टॉपिक पर जो बैकलिंक ली थी उससे मेरी साइट रैंक हो रही है। अगर आपकी किसी वेबसाइट पर door*way pages बने हुए है तो BING तुरंत ही आपको DEINDEX कर देगा। लेकिन गूगल ऐसा नहीं करता है, सिर्फ उनकी रैंक को कम कर देता है या उन pages को count नहीं करता है। 

अगर किसी वेबसाइट की काफी सारी बैकलिंक्स स्पै*मी है तो गूगल वेबसाइट को पनिश करने की जगह उन बैकलिंक का इफ़ेक्ट NULL कर देता है। गूगल का लॉजिक है की ऐसा भी हो सकता है कि यह वेब मास्टर ने खुद से बनाई हो वेबसाइट को बेकार में क्यो पनिश करे। अगर कोई वेबसाइट बहुत ज्यादा ad दिखा रही है तो गूगल उसे भी पनिश नहीं करता है सिर्फ उसकी रैंक को चेंज कर देता है। क्यों की उसे लगता है की ओनर को पता ही न हो की ऐसा भी कुछ होता है। 

गूगल लगातार हर तरीके से वेबसाइट को नेगेटिव तरीके से नुकसान पहुंचाने की जगह सिर्फ उसकी रैंक को एडजस्ट करता रहता है। ये सारा काम मशीन लर्निंग एल्गोरिथम्स अपने आप करती हैं। 

काफी सारे लोग इस वक़्त सोच रहे होंगे कि मेरा कंटेंट अच्छा है लेकिन फिर भी मेरी साइट की रैंक नहीं बढ़ रही। इस पर दो फैक्टर काम करते है 

1. आपका कंटेंट ठीक नहीं है, हाई क्वालिटी नहीं है लेकिन आपको लगता है कि ठीक है। 

2. आपका कंटेंट ठीक है, हाई क्वालिटी है, फिर भी रैंक नहीं करता है। बारी-बारी से दोनों पॉइंट को देखते हैं।

Website रैंक क्यों नहीं करती?

पहला पॉइंट है कि आपका कंटेंट सच में हाई क्वालिटी है भी या नहीं? अभी ये आपको कैसे पता होगा कि आपका कंटेंट हाई क्वालिटी है। अगर आपने या आपकी कंपनी ने कंटेंट खुद से लिखा है। अगर आप खुद ही जज कर रहे हैं तो आपको वह हमेशा अच्छा ही लगेगा। अपना बच्चा किसे खराब लगता है! अपने कंटेंट की क्वालिटी को चेक करने के लिए यूज़र स्टडी कीजिए। 

अपने कुछ दोस्तों को या फैमिली को अपनी साइट और अपने प्रतियोगी की साइट को देखने को दीजिए। उन्हें पता नहीं होना चाहिए कि आपकी साइट कौन सी है और आपके प्रतियोगी की साइट कौन सी है। ताकि वह ऑनेस्ट ऑपिनियन दे सकें और फिर देखिए कि वह आपके कंटेंट के बारे में क्या कमियाँ निकालते हैं। सिर्फ कंटेंट ही नहीं बाकी चीजों पर भी ध्यान देना होगा, जैसे कंटेंट प्लेसिंग, कॉन्ट्रास्ट और कलर पर भी ध्यान दीजिए। इसके बाद आपको पता लग सकता है की आपका कंटेंट सच में अच्छा है या नहीं है। 

High quality content होने के बाद भी साइट रैंक नहीं कर रही?

दूसरा पॉइंट है कि आपका कंटेंट हाई क्वालिटी होने के बाद भी रैंक नहीं करता है। उसका Reason है कि यूज़र की Need Fulfill ना होना। गूगल की गाइडलाइंस क्लेयर आइडिया देती है कि गूगल अपनी Algorithms को कहां ले जाना चाहते हैं। अगर किसी को यह पता करना है कि अगली कोर अपडेट में क्या चेंज हो सकता हैं तो वह गाइडलाइंस को ध्यान से पढ़ें। कोई एक कंटेंट हाई क्वालिटी होने के बाद भी रैंक नहीं करेगा अगर वो यूज़र की Need से मैच नहीं करता है तो। 

अगर आपकी वेबसाइट नई है तो आपकी वेबसाइट को बैकलिंक चाहिए। ताकि गूगल को आपकी वेबसाइट का Relevance समझ में आए, उसे पता चले कि आपकी वेबसाइट किस बारे में है, किस तरह के नेबर हुड में रहती है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि जितनी ज्यादा बैकलिंक्स होंगी आपकी रैंक उसी प्रपोशन में बढ़ती जाएगी। अगर आपकी वेबसाइट में कॉमन कंटेंट है जो 2000 – 3000 वेबसाइट में भी मौजूद है। तो फिर गूगल को मजबूरी में बैकलिंक के सहारे जाना पड़ता है यह डिसाइड करने के लिए कि आखिर इन सारी एक जैसी वेबसाइट में से कौन सी यूज़र के लिए ठीक है।

SEO में दो तरह की strategies नहीं चल सकती की आप आधे चेहरे पर short term tricks का लोशन लगा ले और बाकी दूसरी तरफ long term strategies का moisturizer लगाए। पॉन्ड्स का ad नहीं चल रहा है। या तो आप सही strategies को फॉलो करके एक long term बिज़नेस बिल्ड कर सकते हैं या फिर short tricks के जरिए कुछ दिन तक चल सकते हैं। इसके बाद कोई कोर अपडेट आएगी और आप सोल्यूशन ढूंढने रह जाएंगे।

गूगल सर्च इंजन एक कंप्यूटर प्रोग्राम है। जो गलतियां भी करता है और उन्हें ठीक भी करता है। 2019 में गूगल के अंदर 3600 अपडेट्स हुई में पूरे साल में। 

गूगल पर एक सेकंड में कितने सर्च होते है?

सर्च अपने आप में एक बेहद सिंपल सी लगने वाली प्रोसेस है। लेकिन इसे हर सेकंड 88 हजार से भी ज्यादा बार करना और सटीक तरीके से करना ये बेहद मुश्किल होता है। हां हर सेकंड गूगल पर 88000 से भी ज्यादा सर्च की जाती हैं और इनमें से 15% ऐसी सर्च Queries होती है जो नई होती है। तो हर सेकंड 13000 से भी ज्यादा नई Queries सर्च होती है और हर सर्च का रिजल्ट सही होने की उम्मीद हर कोई करता है। इस टारगेट को अचीव करने के लिए गूगल वेबसाइट और उनके कंटेंट को चार फैक्टर के base पर Analyse करता है। 

1. Quality 2. Freshness 3. Relevancy 4. Performance

कंटेंट का High Quality होना जरुरी है। क्योंकि सर्च करने वाले यूजर को सबसे पहले चाहिए कि जवाब जो भी हो वह हाई क्वालिटी कंटेंट होना चाहिए। इसके बाद है Freshness, अगर कोई हाई क्वालिटी इंफॉर्मेशन है लेकिन वह 10 साल पुरानी है या 2 साल पुरानी है तो क्या फायदा है। तो Freshness एक important फैक्टर होता है। 

अगला है Relevancy, यानी कि अगर कंटेंट सर्च करने वाले यूजर के लिए Usefull ही नहीं है, तो क्या फायदा उसका। इसके बाद आता है Performance, वेबसाइट का फास्ट लोड होना। ये सब कुछ तब काम आता है जब Quality, Freshness और Relevancy फैक्टर आपकी वेबसाइट के फेवर में होता है। अगर आप नई वेबसाइट की शुरुआत कर रहे हैं तो अपनी अपनी बैकलिंक प्रोफाइल को शुरू से साफ रखिए। अपने कंटेंट पर यूजर फीडबैक लीजिए। सिर्फ खुद ही अनाउंस मत करिए कि वह अच्छा। Original कंटेंट होना अलग बात है, उसका High Quality होना एक अलग चीज है और Relevent होना एक बिलकुल अलग चीज है। 

Structured डाटा को इस्तेमाल करिए, ये आपकी वेबसाइट को समझने में, सही ट्रैफिक दिलाने में आपकी मदत करेगा। 

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