Google Algorithm Update 2021 | Page Experience Ranking Signal In Hindi

Page Experience क्या है?

आज हम बात कर रहे हैं Page Experience Ranking Signal के बारे में, जो कि मई 2021 में लाइव होने जा रही है.

Page Experience signals का एक सेट है जो यूजर ने किसी वेब पेज को visit करने पर उसने किए हुए experience को measure करता है। Page Experience यूजर का वेब पेज की लिंक पर click करने से लेकर उसके पेज से चले जाने तक उसने जो भी experience किया है उस पर निर्भर करता है।

Page Experience कोई एक फिक्स एलिमेंट नहीं है. जिसके लिए कोई एक जादुई Plugin आएगा जिसका Subscription लेते ही आपकी वेबसाइट का Page Experience झकास हो जायेगा.  

Page Experience Ranking Signal में सात अलग-अलग Factors है और इन सातों Factors को आप अपनी वेबसाइट में चेक करेंगे, इसके बाद उसका सलूशन ढूढेंगे, टेस्ट करेंगे और वेरीफाई करेंगे. इसके लिए कितना टाइम लगेगा यह आपकी वेबसाइट के रिसोर्सेज पर डिपेंड करता है. तो पहले देखते है इस Page Experience Ranking Signal के सात फेरे यानी साथ Factors क्या है?

  • Largest Contentful Paint
  • First Input Delay
  • Cumulative Layout Shift
  • Mobile Friendliness
  • Safe Browsing
  • HTTPS
  • No Intrusive Interstitials  

Core Web Vitals क्या है?

Core Web Vitals Google द्वारा Introduce किया गया एक रैंकिंग सिग्नल है, जिसे Page Experience Signal कहा जाएगा। Core Web Vitals कोई एक term नहीं है बल्कि 3 अलग-अलग metrics का combination है, जो वेबसाइट कि Speed, Responsiveness और Visual Stability पर निर्भर करता है। Largest Contentful Paint, First Input Delay और Cumulative Layout Shift को Google ने Core Web Vitals बताया है।

Core Web Vitals को आप गूगल सर्च कंसोल की Enhancement रिपोर्ट में देख सकते हैं. इस Page Experience Ranking signals को समझने के लिए हमें इन सातों एलिमेंट्स का मतलब समझना होगा। 

Largest Contentful Paint (LCP) क्या है?

Technical Term में, किसी यूजर के वेब पेज को Visit करने पर उसके Device में सबसे पहले दिखाई देने वाले कंटेंट में जो सबसे बड़ा एलिमेंट होगा उसे लोड होने में जो टाइम लगेगा उसे Largest Contentful Paint (LCP) कहां जाता है। यह Largest Contentful Paint (LCP) कोई Image हो सकती है, कोई Text या Data हो सकता है, कोई Video हो सकता है या कुछ और भी हो सकता है। Google के हिसाब से यह समय <2.5 सेकंड से कम होना चाहिए. इस Largest Contentful Paint में एलिजिबल होने के लिए जो एलिमेंट Consider किए जाते है वो है,

Largest Contentful Paint (LCP) क्या है
  • IMG Elements 
  • SVG Items (Which is Under The Image Elements)
  • Video Elements 
  • Background Image
  • Block Level Text Elements(HTML Element)

Largest Contentful Paint टेस्ट में पास होने के लिए आपके पेज को 2.5 सेकेंड के अंदर ही अपनी वेबसाइट के Above The Fold कंटेंट एरिया में कम से कम 75% कंटेंट को दिखाना होता है. Read Also: Keyword Density क्या है और क्या यह Blogging में जरूरी है?

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ऊपर दिखाई Image मे आपको कुछ text दिख रहा होगा, एक छोटी इमेज दिख रही होगी और एक काफी बड़ी इमेज दिखाई दे रही होगी। जो सबसे बड़ी इमेज है उसे लोड होने मे जो टाइम लगता है उसे LCP कहा जाता है।

First Input Delay (FID) क्या है?

जब कोई यूजर Google पर आपके वेब पेज के लिंक पर क्लिक करता है तो आपकी वेबसाइट उसके Device में लोड होने लगती है। पहली बार वेब पेज Visit करने पर यूजर किसी Link / Button / Text या किसी भी एलिमेंट को टच करता है, तो कितने टाइम में ब्राउज़र उसे प्रोसेस करना शुरू कर देता है। मतलब की वेबसाइट 75% लोड होने के बाद भी अगर यूजर किसी एलिमेंट पर क्लिक करता है, लेकिन ब्राउज़र उस Click के बेस पर कोई एक्शन नहीं लेता है, तो इसे First Input Delay कहा जाता है।

First Input Delay क्या है

यह Delay इसलिए आता है क्योंकि आपकी वेबसाइट सामने से तो दिख रही होती है की वेबसाइट ब्राउज़र में लोड हो गई लेकिन बैकग्राउंड में ब्राउज़र अब भी आपके वेबसाइट के JavaScript और CSS को Execute कर रहा होता है, Download कर रहा होता है, Process कर रहा होता है. यह सब Process करने में ब्राउज़र Busy होता है इसलिए वह यूजर के इंस्ट्रक्शन को Execute नहीं कर पाता है. Google के हिसाब से यह First Input Delay 100ms से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

Cumulative Layout Shift (CLS) क्या है?

Cumulative Layout Shift ब्राउज़र पर आपकी वेबसाइट के एलिमेंट की स्टेबिलिटी को मेजर करता है. जब आपका पेज ब्राउजर पर Download होता है या टेक्निकल भाषा मे कहें तो जब आपका पेज ब्राउज़र में Render होता है, तो एलिमेंट्स one by one दिखाई देते हैं.

जब कोई एक एलिमेंट चाहे वह टेक्स्ट हो या इमेज हो जब एक फ्रेम में किसी एक पोजीशन पर होता है और दूसरी फ्रेम में किसी और पोजीशन पर होता है, तो इसे Cumulative Layout Shift कहते हैं. Cumulative Layout Shift 2 Factors का Multiplication होता है, Impact Fraction और Distance FractionRead Also: Semantic SEO क्या है?

Impact Fraction क्या होता है?

मान लो एक डिवाइस है जिसकी Height 100px है और इसमें जो टेक्स्ट लोड हो रहा है वह 50px का है. एक फ्रेम में यह टेक्स्ट टॉप में है और उसने 50px Space ले लिया है. लेकिन बाद में यह टेक्स्ट 25px नीचे की ओर जाता है, तो टोटल हुवा 75px. 100px में 75% कवर करने का मतलब है पूरी फ्रेम का 0.75 कवर करना, इसे Impact Fraction कहा जाता है. (Impact Fraction = 0.75)

Distance Fraction क्या होता है?

यह जो टेक्स्ट Extra 25% निचे की ओर जाता है जो पूरी फ्रेम का 0.25 हुवा, उसे Distance Fraction कहा जाता है. 

अब इन दोनों Numbers को Multiply करते है, 

CLS = 0.75×0.25 = 0.1875. यह  0.1875 इस पेज का CLS Score हुआ. 0.1 तक का CLS Score अच्छा माना जाता है. 0.25 CLS Score एवरेज माना जाता है और उसके बाद जो भी है वह रेड जोन में है. 

Cumulative Layout Shift क्या है

अगर किसी एलिमेंट का अपनी पोजीशन से शिफ्ट होना CLS Score को बढ़ाता है, तो क्या Dynamic Elements वेबसाइट में यूज नहीं करने चाहिए? गूगल की अपनी गाइडलाइन के हिसाब से अगर कोई लेआउट शिफ्ट यूजर कि इंगेजमेंट की वजह से हो रहा है, तो वह CLS Score में Count नहीं किया जाएगा। 

Example के लिए अगर आपने अपनी वेबसाइट में एक एनिमेशन लगाया है कि जब यूजर किसी बटन को क्लिक करेगा, तो वह बटन 15% बड़ा हो जाएगा. अगर बटन बढ़ेगा तो उसके नीचे आने वाले एलिमेंट शिफ्ट होंगे, जिससे CLS Score बढ़ सकता है. लेकिन यहां ऐसा नहीं होगा क्योंकि यह शिफ्ट यूजर के बटन पर क्लिक करने की वजह से हो रहा है. अब यहां एक कंडीशन लागू होती है की बटन पर क्लिक होने के बाद यह लेआउट 500ms के अंदर ही शिफ्ट होना चाहिए. 

अभी तक हमने जो तीन एलिमेंट देखे है जो की है, Largest Contentful Paint, First Input Delay, Cumulative Layout Shift इन्हे Web Vitals कहा जाता है और यह Web Vitals Score आपको गूगल सर्च कंसोल में भी देखने को मिल जाता है. Read Also: Schema Data क्या होता है?

Mobile Friendliness क्या है?

वेबसाइट का Mobile Friendliness होना बहुत जरूरी होता है और अगर वेबसाइट Mobile Friendliness टेस्ट में फेल होती है या ठीक से Render नहीं होती है. तो आपको errors रिपोर्ट गूगल सर्च कंसोल में देखने को मिलती है. वेबसाइट का मोबाइल में ठीक से और सही से लोड होना काफी जरूरी होता है.

गूगल से लगभग अगर आप इंडिया में है और आपकी वेबसाइट हिंदी में है तो करीब 80% तक की ट्रैफिक मोबाइल से मिलती है. लेकिन ऐसे में आपकी वेबसाइट मोबाइल पर ठीक से लोड नहीं होती तो आपको गूगल की और से errors मिल सकते है. आप गूगल सर्च कंसोल में Mobile Usability पर क्लिक कर दिखाए जा रहे Mobile Friendliness Errors को ठीक कर सकते है. 

Safe Browsing क्या है?

आपकी वेबसाइट में आने वाले Security Issues आपके Page Experience Score को घटा सकते हैं. गूगल सर्च कंसोल के Security and Manual Actions सेक्शन में Security Issues Tab में आपको अपनी वेबसाइट की Security Issues के बारे में इंफॉर्मेशन मिल जाएगी. गूगल सर्च कंसोल चार टाइप की Security Issues डिटेक्ट करता है, 

  • a) Malware जब आपकी वेबसाइट हैक हो गई हो. 
  • b) Deceptive Pages जब आपकी वेबसाइट में फिशिंग कंटेंट मिलता हो. यानी कि कुछ ऐसा जो किसी थर्ड पार्टी Services या सॉफ्टवेयर की नकल करता हुआ दिखाई देता हो. 
  • c) Harmful Downloads जब आपकी वेबसाइट यूजर के डिवाइस में कोई सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की कोशिश करती है, जो Harmful हो सकता है. 
  • d) Uncommon Download जब आपकी वेबसाइट यूजर के डिवाइस में कोई ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की कोशिश करती है जो यूजर के लिए जरूरी नहीं है.

इस तरह की Errors नॉर्मल वेबसाइट में नहीं आती है. अगर आप जानबूझकर अपनी वेबसाइट में कोई Harmful Software या कंटेंट वगैरह नहीं रख रहे हैं और फिर भी अगर आपको इस Errors का सामना करना पड़ रहे हैं. तो हो सकता है कि आपके ऊपर GLP Theme, Nulled Theme या Group Buying Tool की कृपा हो गई हो. Read Also: Snippet क्या है? और Featured Snippet क्या है?

HTTPS क्या है?

HTTPS आपके यूजर की इनफार्मेशन को प्रोटेक्टेड रखता है और गूगल सिर्फ HTTP पर Run होने वाली वेबसाइट को Not Secure का टैग देता है. लेकिन अब से HTTPS वेबसाइट के Page Experience Signal का Part होगा और वेबसाइट के रैंक पर असर डालेगा. अगर आपकी वेबसाइट HTTPS पर नहीं है तो उसे माइग्रेट करिए.

No Intrusive Interstitials क्या है?

जब यूजर आपकी वेबसाइट को Visit करता है और उसे Visit करते ही अगर पूरी Screen पर एक पॉपअप दिखाया जाता है. उस यूजर को Main कंटेंट को देखने के लिए उन्हें उस पॉपअप को Close करना पड़ता है, तब यह Error आती है. चाहे फिर वो पॉपअप पूरी Screen पर हो / आधी Screen हो या फिर Menu के नीचे वाले पॉपअप हो.

सभी को गूगल पसंद नहीं करता है और ऐसे पॉपअप आपके Page Experience Score को कम करते है. इसलिए काफी वेबसाइट में वेबसाइट को छोड़ते वक़्त ऐसे पॉपअप दिखाए जाते है या फिर ऐसे पॉपअप जो वेबसाइट को कुछ देर स्क्रोल करने के बाद दिखाए देते है. 

यह थे वह 7 एलिमेंट्स या 7 Part जिनको मिलाकर Page Experience Signal बनेगा जो मई 2021 से Ranking Signal का हिस्सा हो जाएगा. एक बेहद जरुरी बात आपको याद रखनी चाहिए Page Experience Ranking Signal के कई सारे एलिमेंट में से सिर्फ एक होगा. सबसे ज्यादा जरूरी हिस्सा नहीं होने वाला है. Ranking Signal का अपना Sequence होता है, सबसे ज्यादा जरूरी Factor होता है Quality Of The Content सबसे जरूरी चीज है यह. 

इसके बाद है Freshness Of The Content, Content कब Update हुआ था कितना Fresh है. इसके बाद है Relevance, इंफॉर्मेशन है पेज में लेकिन वह कितनी Relevant है? इन सबके बाद नंबर आता है Performance का. ऐसा नहीं है आपका Content अच्छा नहीं है, High Quality नहीं है, Fresh नहीं है. लेकिन आपकी वेबसाइट की Performance अच्छी है, आपको Page Speed Insight पर 100 का score मिल गया है तो आपकी वेबसाइट रैंक करने लगेगी.

सबसे पहले Content पर फोकस करिए, उसके बाद Freshness पर फोकस करिए और उसके बाद Performance पर फोकस करिए. ऐसा न हो वेबसाइट की स्पीड बढ़ने के चक्कर में आप Content के Quality को ख़राब कर दे. 

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