फ्लाइट में एयरप्लेन मोड को क्यों चालू करना पड़ता है?

क्या आपको पता है कि प्लेन में चढ़ने के बाद एयरप्लेन मोड को ऑन करना क्यों कंपलसरी होता है और अगर एयरप्लेन मोड ऑन ना किया जाए तो प्लेन को क्या होगा? आपको तो यह तो पता ही है कि प्लेन में चढ़ने के बाद हम लोग को एरोप्लेन मोड/एयरप्लेन मोड मोड या फिर एयरप्लेन मोड  को ऑन करना पड़ता है। नहीं किए तो शायद प्लेन में कुछ गड़बड़ी आ सकती है।

लेकिन असल में होता क्या है? तो सुनो एयरप्लेन मोड को ऑन करने से 2 लोगों के ग्रुप को फायदा होता है। एक तो पायलट और दूसरा आप यानी पैसेंजर। कैसे? क्या है न की जब प्लेन हवा में टेक ऑफ करता है तब पायलट को नीचे के कंट्रोल टावर से सिग्नल और कम्युनिकेशन सिग्नल मिलता है। प्लेन को नीचे का कंट्रोल टावर गाइड करता है और रेडियो फ्रीक्वेंसी के फॉर्म में वह कम्युनिकेशन होता है। 

पायलट हेडफोन लगाकर रहता है और वह कंट्रोल टावर कंस्ट्रक्शन स्कोर सुन पाता है। तो अगर प्लेन में कोई एक व्यक्ति मोबाइल ऑन कर ले तो वह मोबाइल का सिम टावर को स्कैन करने लगेगा। यह स्कैन पायलट और ग्राउंड के बीच जो कनेक्शन है उसके बिच interfere करने लगेगा। पायलट को नीचे कंट्रोल टावर में बैठे हैं इंसान के आवाज के बदले अपने एयर फोन में खरररररर… सुनाई देने लगेगा।

अगर मान लो प्लेन में सभी लोगों ने ऑन कर दिया अपना मोबाइल फोन। तब पायलट के हेडफोन में इतनी एलोइंग आवाज आएगी की उसको इंस्ट्रक्शन मिली नहीं पाएगा। उसको पता नहीं चल पाया कि आसमान कैसा है आगे कोई ओर फ्लाइट तो पास नहीं हो रही है। यह इनफार्मेशन जो कि उसे नीचे कंट्रोल टावर से मिलती है वो मिलेगी ही नहीं। तो नीचे मौजूद ग्राउंड कंट्रोल टावर एक बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है फ्लाइट के सेफ्टी में। 

Read also: राधाकिशन दमानी सफलता की कहानी | Radhakishan Damani Success Story

Read also: Jio Customer Care से बात कैसे करे? | Jio Customer Care Number

Read also: PETROL और PERFUME ठंडा क्यों होता है? 10 Amazing Facts of 2021

फ्लाइट सेफ रहे और सही से उड़े इसके लिए पायलट के सिग्नल निचे जाना और निचे से जो इनफार्मेशन मिल रही है वो पायलट तक पोहचना बेहद जरुरी होता है। अगर फोन तो ऑन रहेंगे फ्लाइट में तो फ़ोन लगातार सिग्नल सर्च करने का कोशिश करेगा नीचे धरती पर मौजूद नियरेस्ट टावर से। इससे फ़ोन का टेम्प्रेचर भी बढ़ जाएगा क्योंकि फोन लगातार सिग्नल को सर्च करता रहेगा और बिना मतलब के बैटरी भी ख़त्म होने लगेगी।

पायलट को भी सिग्नल में इंटरफेरेंस मिलेगा, जिसेसे उसको सही इनफार्मेशन मिलने में दिक्कत होगी। यही कारण है की प्लेन में ट्रैवल करते वक्त फ़ोन में एयरप्लेन मोड ऑन करने का रूल है। नहीं तो प्लेन बिल्कुल भी सेफ नहीं रहेगा और आपका मोबाइल भी बिना मतलब का गर्म होगा। इसलिए शॉर्ट ड्यूरेशन के लिए फ्लाइट जब तक हवा में है तब तक फोन बंद ही रखने का नियम बनाया गया है। 

Leave a Reply