दोस्तों हमारे दिमाग में आए दिन कई सवाल चलते रहते है, उन्हीं में से एक सवाल है Cloud Computing क्या होता है? हो सकता है कि Cloud Computing का नाम आपने सुना हो और शायद उसका Use भी आप करते हो। लेकिन अभी तक Cloud Computing के बारे में क्लियर और प्रॉपर इंफॉर्मेशन आपको ना मिली हो। ऐसा भी हो सकता है कि आपको लगता है कि आपने कभी Cloud Computing का Use किया ही नहीं।
तो यह जान लीजिए कि अगर आप इंटरनेट के जरिए किसी भी सर्विस को Use करते हैं जैसे ईमेल भेजते है, डॉक्यूमेंट को एडिट करते हैं, मूवी और टीवी देखते हैं, गेम खेलते हैं, म्यूजिक सुनते हैं, और फाइल्स को स्टोर करते हैं। तो यह सब करने के पीछे Cloud Computing का ही हाथ होता है। छोटे से छोटे स्टार्टअप से बड़ी से बड़ी एजेंसीज इसका Use कर रही है।
Cloud Computing क्या होती है?
हम सब कंप्यूटर में या मोबाइल में जब भी कोई फाइल सेव करते हैं तो उसे किसी फोल्डर में सेव करते है। यह काम अक्सर ऑफलाइन होता है और जब हम अपना फोन या कंप्यूटर चेंज कर लेते हैं तो उस फाइल को नहीं ढूंढ पाते। इस प्रॉब्लम का सलूशन Cloud Computing सर्विस देती है। क्योंकि Data को स्टोर करने के लिए Cloud Computing का इस्तेमाल होता है। Cloud Computing में कंप्यूटिंग सर्विसेस की डिलीवरी होती है। जिसमें सर्वर, स्टोरेज, डेटाबेस, नेटवर्किंग, सॉफ्टवेयर, एनालिटिकल और इंटेलिजेंस शामिल है।
यह सारी सर्विसेस इंटरनेट के जरिए ही अवेलेबल हो पाती है। तो यहाँ पर क्लाउड का मतलब है इंटरनेट से। कंप्यूटिंग को एक ऐसे स्टोरेज के रूप में भी समझा जा सकता है जिसे हम कहीं भी कभी भी Use कर सकते हैं। इसमें आप अपनी फाइल को ऑनलाइन एडिट कर सकते हैं। किसी भी साइज की फाइल को ऑनलाइन शेयर कर सकते हैं। गूगल ड्राइव जैसे सर्विस प्रोवाइडर यह सब फ्री में भी अवेलेबल करवाते हैं।
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Cloud Computing का इस्तेमाल करना बहुत बहुत ज्यादा सिक्योर और इकोनामिक होता है। Cloud Computing एक ऐसा मॉडल है जो इंटरनेट की मदद से Data को ऑनलाइन मैनेज, स्टोर और प्रोसेस करता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपने एक फाइल बनाई ऑडियो / वीडियो / एक्सल या कोई और फाइल। उस फाइल को आपने अपने PC या लैपटॉप में सेव कर लिया हैं। यह फाइल PC के हार्ड डिस्क में सेव हो गई।
अब आपको कही बाहर जाना है जहां आपको उस फाइल की जरूरत होगी। इसके लिए आप किसी एक्सटर्नल स्टोरेज जैसे पेनड्राइव या हार्ड डिस्क में उस Data को कॉपी करके ले जाएंगे। लेकिन अगर आप Cloud Computing का Use करते हैं तो आपको उस फाइल को किसी भी स्टोरेज डिवाइस में ले जाने की जरूरत नहीं होगी। आपके पास इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए और बस फिर आप आसानी से अपने Data को गूगल ड्राइव या ड्रॉपबॉक्स जैसी सर्विसेस में स्टोर सकते हैं और कहीं से भी उसे एक्सेस कर सकते है। इसके लिए आपको अपना लैपटॉप या पेनड्राइव साथ ले जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
इतना ही नहीं पीसी या लैपटॉप खराब हो जाने की कंडीशन में भी Cloud Computing की मदद से आप अपने Data का बैकअप आसानी से ले सकते हैं। क्योंकि आपका Data गूगल ड्राइव जैसे किसी सर्विस पर सेव और सिक्योर होगा। तो Cloud Computing को समझने के लिए आपको इसके कुछ एग्जांपल्स के नाम जानना चाहिए। ताकि इसे समझना आपके लिए और भी ज्यादा इजी हो जाए। इसलिए आपको बताते हैं Cloud Computing के एग्जांपल के नाम। गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स, फेसबुक, जीमेल, पिकासा, फ्लिकर, गूगल डॉक्स, अमेजॉन वेब सर्विसेज और आईबीएम क्लाउड।
आज कल हर कोई Cloud Computing का इस्तेमाल कर रहा है क्योंकि Cloud Computing बहुत सारे फायदे देती है। जैसे कि Easy To Use, यानी कि Use करने में बहुत ही आसान। Cloud Computing को Use करना बहुत ही आसान होता है और इसे कभी भी कही भी अपने फोन, कंप्यूटर या टैबलेट पर Use किया जा सकता है। इसका Use करने वाली कंपनी को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर परचेज करने और सेटअप बनाने का खर्चा करने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि कंपनी ऑनलाइन इंटरनेट पर स्पेस लेकर के Cloud Computing के सर्विसेस का इस्तेमाल करके अपना बिजनेस बहुत ही कम खर्चे में चला सकती है।
इस सर्विस के जितने रिसोर्सेस का इस्तेमाल एक यूजर करता है उसे उतना ही पे करना होता है। यानी कि यह सर्विस बहुत ही फ्लैक्सिबल और बजट फ्रेंडली भी है।
आगे बात करते हैं स्पीड की, Cloud Computing सर्विस की स्पीड बहुत फास्ट होती है। मतलब कुछ क्लिक करके ही बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि अगर इंटरनेट स्पीड फास्ट हो और Cloud Computing पर सारा काम तेजी से होता रहेगा। तो बिज़नेस तो स्पीड पकड़ेगा ही। Cloud Computing सिक्योर और अपग्रेड होती है इसीलिए इनकी परफॉरमेंस हर बार बेहतर होती है।
साथ ही अगर रिलाएबल होने की बात करें तो Cloud Computing Data बैकअप और डिजास्टर रिकवरी को आसान बनाती है। इसीलिए इसे एक रिलाएबल सर्विस भी कहा जाता है। जहां तक सिक्योरिटी का पॉइंट है तो बहुत ही क्लाउड प्रोवाइडर्स यूजर्स को पॉलिसीज, टेक्नॉलॉजिस का सेट ऑफर करते हैं। जिससे यूजर के लिए डाटा, ऍप्स और इंफ्रास्ट्रक्टर को थ्रेट्स से बचाना ज्यादा आसान हो जाता है।
Types Of Cloud Computing:
एक ही तरह की सर्विस सभी के लिए सही नहीं होती है, ऐसा ही Cloud Computing के साथ भी होता है। इसलिए Cloud Computing के कई टाइप होते हैं। जिनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से सही टाइप को चूस किया जा सकता है। इसलिए Cloud Computing के टाइप जानना भी जरूरी है। तो चलो देखते हैं Cloud Computing के टाइप, Cloud Location के बेस पर Cloud Computing के चार टाइप होते हैं।
1) Public Cloud
इस तरह के Cloud थर्ड पार्टी Cloud सर्विस प्रोवाइडर्स के द्वारा ऑपरेटेड होते हैं। जो सर्वर और स्टोरेज जैसी सर्विसेस इंटरनेट के माध्यम से अवेलेबल करवाते हैं। इस तरह की सर्विस में सभी हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और अदर सपोर्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर क्लाउड प्रोवाइडर द्वारा ही owned और manage होते है। यूजर वेब ब्राउज़र का Use करके उनके सर्विसेस को ले सकते हैं और अपना अकाउंट मैनेज कर सकते हैं। microsoft azure ये पब्लिक क्लाउड का एग्जांपल है।
2) Private Cloud
private cloud किसी बिज़नेस या ऑर्गेनाइजेशन के लिए होता है। जो उस कंपनी के Data सेंटर पर लोकेट भी हो सकता है या कंपनी के द्वारा थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा मैनेज करवाया जा सकता है। Cloud Computing के इस टाइप में सर्विसेस और इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राइवेट नेटवर्क पर मेंटेन किया जाता है।
3) Community Cloud
इस तरह की Cloud Computing ऐसी ऑर्गेनाइजेशन के बीच में शेयर होती है जिनके कॉमन गोल्स होते हैं और जो मिलकर एक कम्युनिटी बनाती है। उस कम्युनिटी के मेंबर ही इस सर्विस का Use कर सकते हैं।
4) Hybrid Cloud
Hybrid Cloud Public और Private Cloud का कॉन्बिनेशन होते हैं। इस तरह के Cloud Computing में Data और Applications Private और Public Cloud के बीच में मूव किए जाते है। ऐसी फैसिलिटी देने वाले Hybrid Cloud का Use करने से बिजनेस को ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी, ज्यादा डेवलपमेंट ऑप्शंस मिलते हैं। साथ ही बिज़नेस के इंफ्रास्ट्रक्चर और सिक्योरिटी को ऑप्टिमाइज करना भी पॉसिबल हो पाता है।
Delivery Models of Cloud Computing:
Cloud Computing के तीन Delivery Models होते है।
- Software-as-a-Service (SaaS)
- Platform-as-a-Service (PaaS)
- Infrastructure-as-a-Service (IaaS)
1) Infrastructure-as-a-Service (IaaS):
पहले बात करते है Infrastructure-as-a-Service (IaaS) की, ये Cloud Computing की सबसे basic category है। जिसमे user अपनी जरूरत के अनुसार रिसोर्सेस रेंट पर ले सकता है। इन रिसोर्सेस में data storage, virtualization, servers और networking शामिल है।
2) Software-as-a-Service (SaaS):
दूसरा है Software-as-a-Service (SaaS), ये सर्विस On Demand एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की सर्विस अवेलेबल करवाती है। इसमें User को अपने PC में सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करवाने की जरुरत नहीं होती है। इसकी कीमत भी काफी कम होती है।
3) Platform-as-a-Service (PaaS):
तीसरा है Platform-as-a-Service (PaaS), ये सर्विस सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को Develop, Test, Deliver और Manage करने के लिए On Demand environment प्रोवाइड करती है। ये सर्विस वेबसाइट और मोबाइल एप्लीकेशन को कम समय में बनाने के लिए डिज़ाइन की गयी है।
What facilities does Cloud Provider offers?
Create Cloud Native Application, Store Backup and Recover Data, Stream Audio/Video, Deliver Software On-Demand, Analyze Data, Test and Build Application.
एक Cloud सर्विस प्रोवाइडर ये सभी फीचर्स Users को प्रोवाइड करता है।
Disadvantages of Cloud Computing:
Cloud Computing के Disadvantages की अगर बात करे तो ये सर्विस पूरी तरह इंटरनेट पर डिपेंड करती है। मतलब अगर इंटरनेट है तो आप इस सर्विस का इस्तेमाल कर सकते है और अगर इंटरनेट नहीं है तो आप इस सर्विस को एक्सेस नहीं कर सकते।