अपनी खुद की प्राइवेट बैंक कैसे खोले? 2021

अपनी मेहनत की कमाई को बचत में बदलने के लिए अक्सर लोग अपने पैसे बैंक में रखते हैं, क्योंकि यह एक सबसे सुरक्षित तरीका है। पैसे को जेब में लेकर घूमने की जरूरत नहीं है, आप कहीं भी जा करके बैंक से पैसे निकाल सकते हैं जमा करा सकते हैं।

एसबीआई बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक बैंकिंग सेक्टर के ये कुछ कॉमन नाम है। लेकिन एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, सीएसबी बैंक, सिटी यूनियन बैंक जैसे ढेर सारी नाम भी आपको मिल जाएंगे जो कि नए बैंक है। तो एक नया बैंक खुलता कैसे हैं और क्या आप अपना बैंक खोल पाएंगे? इसी का जवाब आज हम आपको आज देने वाले है। 

तो हाउसवाइफ हो, प्रोफेशनल्स हो या फिर स्टूडेंट सभी को बैंकिंग सर्विस की जरूरत पड़ती है। किसी भी देश में उसका बैंकिंग सेक्टर देश का बैकबोन होता है। इंडिया में कई तरह के बैंक्स आपको दिख जाएंगे जैसे कि पब्लिक सेक्टर बैंक्स पब्लिक सेक्टर बैंक इंडिया में ज्यादातर यही बैंक्स है जो नेशनल होते हैं जिन पर गवर्मेंट का कंट्रोल होता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, अलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईडीबीआई बैंक जैसे 21 नेशनलाइज्ड बैंक्स है। जिनमे एसबीआई सबसे बड़ा बैंक है, जो दुनिया के टॉप 50 बैंकों में गिना जाता है। प्राइवेट सेक्टर बैंक की बात की जाए तो इनकी हिस्सेदारी प्राइवेट शेयर होल्डर्स के पास होती है। वह कोई प्राइवेट कंपनी या कोई इंडिविजुअल भी हो सकता है। 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सभी रूल्स एंड रेगुलेशंस मान कर इन्हे चलना पड़ता है। एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ऐसे नाम प्राइवेट सेक्टर बैंक है।

फॉरेन बैंक की बात की जाए तो कोई विदेशी बैंक अगर इंडिया में बिज़नेस कर रहा है जिसका हेड क्वार्टर किसी दूसरे देश में है तो वो फॉरेन बैंक की केटेगरी में आता है। जैसे सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, एचएसबीसी बैंक। इंडियन बैंक विदेशों में फॉरेन बैंक कहे जाएंगे।

अब स्मॉल फाइनेंस बैंक की बात की जाए तो सोसाइटी के वो लोग जो अपने आर्थिक जरूरतों के लिए किसी बड़े बैंक से लोन नहीं पाते हैं उन्हें सपोर्ट देने के लिए स्मॉल फाइनेंस बैंक खोले जाते हैं। ये ज्यादा तर ग्रामीण और छोटे एरिया में काम करते हैं। जैसे कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक, फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक, सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक आदि। 

आगे आते है कॉर्पोरेटिव बैंक्स, इस तरह के बैंक नॉन प्रॉफिट नो-लॉस प्रिंसिपल पर चलते हैं। जो कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट 1912 में रजिस्टर्ड होते हैं और इंडस्ट्री, स्मॉल बिज़नेस और सेल्फ एंप्लॉयमेंट के लिए लोगों की हेल्प करते हैं। Private बैंक की सर्विस पेमेंट तक की होती है और इनका यूज करते हुए कस्टमर्स मैक्सिमम ₹100000 तक पेमेंट कर सकते हैं। आरबीआई के द्वारा इनकी एक्टिवटी लिमिटेड होती है। हालांकि ये भी एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी सारी सुविधाएं दे सकते हैं। एयरटेल पेमेंट बैंक, पेटीएम,जिओ पेमेंट, गूगल पे ये सभी पेमेंट्स बैंक है। 

बात करते हैं बैंक खोलने की तो इंडिया में आप एक प्राइवेट बैंक ही खोल सकते हैं। जिसकी सभी गाइडलाइंस आरबीआई की वेबसाइट पर आपको मिल जाएगी।

बैंक खलने के लिए क्या होना जरुरी है?

एक नया बैंक खोलने के लिए कोई इंडिविजुअल जो इस देश का नागरिक हो या फिर नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी जिनके पास 500 करोड़ की संपत्ति हो। 

कोई व्यक्ति जिसे फाइनेंस या बैंकिंग एरिया में 10 साल का एक्सपीरियंस हो। 

तीसरा प्राइवेट सेक्टर की कोई कंपनी जो 10 सालों से सक्सेसफुली अपना बिज़नेस कर रही है, जिनके पास 500 करोड़ का एसेट्स हो और उसका 60% फाइनेंसियल डोमेन से कमाया गया हो। 

नंबर चार पर है व्यक्ति या कंपनी फाइनेंसियल डिफॉल्टेर ना हो। 

नंबर पांच पर है बैंक में पहले 5 सालों के लिए 40% मालिकाना कंपनी को अपने पास रखना होता है। 

नंबर छह पहले 5 सालों में फॉरेन शेयर होल्डिंग 49% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और कोई भी सिंगल फॉरेन शेयर होल्डर 5% से ज्यादा ओन नहीं कर सकता। 

अगर आप RBI Rules To Open A Private Bank सर्च करेंगे तो आपको आरबीआई की एक गाइडलाइन मिल जाएगी। जिसमें एक प्राइवेट बैंक खोलने के सारे नियम आपको मिल जाएंगे। तो यह लिस्ट और डिटेल्स इतनी ज्यादा है कि इन्हें इस आर्टिकल में कवर करना पॉसिबल नहीं नहीं है। बाकी आप अपनी जानकारी के लिए इन्हें पढ़ सकते हैं देख सकते हैं।

आरबीआई की गाइडलाइंस को पूरा करने के अलावा भी आपको प्रोजेक्ट डीटेल्स देनी पड़ेगी। प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यह बताना होगा कि बैंक काम कैसे करेगा, बैंक का बिज़नेस प्लान क्या है, किस तरह की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी यूज करेगा, उसकी कैपेबिलिटी कितनी होगी और बैंक से जुड़ी ग्राउंड लेवल की जानकारियां जो अनरियलिस्टिक नहीं होनी चाहिए। 

इसके साथ ही पैटर्न ऑफ़ शेयर होल्डिंग एंड मैनेजमेंट डिसाइड करना होगा। बैंक में कौन लोग मैनेजमेंट का हिस्सा बनेंगे, कौन लोग शेयर होल्डर रहेंगे और फॉरेन इक्विटी पार्टिसिपेशन क्या होगा सब कुछ आरबीआई को बताना पड़ता है।

इसके अलावा भी बैंक से जुड़ने वाले लोग, प्रमोटर और शेयर होल्डर के एक्सपर्टीज, ट्रैक रिकॉर्ड ऑफ बिजनेस, फाइनेंसियल वर्थ, मेमोरेंडम और आर्टिकल आफ एसोसिएशन, प्रमोटर्स कि पिछले 10 साल की लेटेस्ट फाइनल स्टेटमेंट, पिछले 3 साल का इनकम टैक्स रिटर्न जैसी कई सारी जानकारियां भी क्लियर करनी पड़ती है।

प्राइवेट बैंक पैसे कैसे कमाते है?

इसी के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि बैंक पैसे कमाते हैं। कैसे? इंडिया में बैंकों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया है डिपॉजिट, बैंक के कस्टमर अपना जो भी पैसा बैंकों में रखते हैं उससे बैंकों की पूंजी बढ़ती है और उससे रिलेटेड ट्रांसेक्शन पर बैंक फीस या चार्जेज लेते हैं।

बैंक के इनकम का दूसरा बड़ा जरिया है लोन, ज्यादातर बैंक्स एजुकेशनल, पर्सनल, बिजनेस और गोल्ड लोन देते हैं। इनके इंटरेस्ट रेट अक्सर हाई होते हैं जिससे बैंकों को अच्छी खासी कमाई होती है। जिन्हें अपना बिज़नेस शुरू करना होता है उन्हें कैपिटल या फंडिंग करके उससे आने वाले इंटेरेस्ट से भी बैंक को मुनाफा होता है। इसके अलावा भी क्रेडिट कार्ड फीस, चेकिंग अकाउंट, सेविंग अकाउंट, म्युचुअल फंड रिवेन्यू, इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फीस और कस्टोडियन फीस से भी प्राइवेट बैंक अपना प्रॉफिट निकालते हैं। 

इस तरह डॉक्यूमेंट और बाकि काम होने के बाद बैंक को अपनी अपनी फिजिकल प्रजेंस दिखानी पड़ती है। जैसे ब्रांच, यानि की एक बैंक को अपना हेड क्वार्टर बनाने के साथ-साथ देश के छोटे बड़े शहर और गांव में अपनी ब्रांच खोलनी पड़ती है, जिससे उनका बिजनेस पढ़ना शुरू होता है।

क्योंकि बैंक जितने लोगों की पहुंच में रहेगा उसे उतना ही फायदा होगा। एक ब्रांच खोलने के लिए रेंट पर जगह लेनी पड़ती है, उसकी सिक्योरिटी, मेंटेनेंस, उसे मैनेज करने के लिए एम्प्लाइज, इलेक्ट्रिसिटी, कंप्यूटर सिस्टम, पावर बैकअप जैसी ढेर सारी सुविधाओं से जोड़ना पड़ता है। सिक्योरिटी की बात की जाए तो एक बैंक के खुलते ही उसे सुरक्षित नेटवर्क सिस्टम की जरूरत पड़ती है, जहां पर बैंक आसानी से अपने इंटरनल सिस्टम में और कस्टमर को बैंकिंग सर्विस दे पाए। जहां कोई ऑनलाइन फ्रॉड, चोरी, हैकिंग जैसी गुंजाइश ना हो। इसके लिए बैंक को बहुत ज्यादा सुरक्षित सिस्टम बनवाना पड़ता है, इसे चलाने के लिए भी सर्वर, ऑपरेटिंग सिस्टम, स्किल्ड लोग चाहिए होते हैं। तो इस पर बहुत खर्चा आता है अब आगे बात करते हैं वेबसाइट की। 

एक बैंक की वेबसइट सिर्फ लोगों को जानकारी देने के लिए ही नहीं होती है। वहां पर लोग अपने अकाउंट डिटेल्स देख पाते हैं, ऑनलाइन बैंकिंग कर पाते हैं, अकाउंट से जुड़े अपडेट ले पाते हैं।  इसलिए एक सिक्योर वेबसाइट भी चाहिए जो हजारों कस्टमर के डाटा को हैंडल कर सके, ट्रांजैक्शन मैनेज कर सके और लोगों की जानकारी सेफ रख सके। इस पर भी बैंक को अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। 

एटीएम सर्विस देनी होती है

अब आगे बात करते हैं एटीएम सर्विस की, लोगो को जब भी पैसों की जरूरत पड़ती है लोग एटीएम चले जाते हैं। इसीलिए अपने कस्टमर्स को बेहतर एटीएम सर्विस देना भी बोहोत जरूरी है। 

जहा पैसे निकालने के साथ-साथ डिपॉजिट और पासबुक प्रिंटिंग जैसी सुविधा भी देनी पड़ती है। एटीएम में पैसों की अवेलेबिलिटी, साफ-सफाई और सिक्योरिटी गार्ड का होना भी जरूरी है। 

ब्रांडिंग और एडवर्टाइजमेंट करनी होती है 

ब्रांडिंग और एडवर्टाइजमेंट की बात की जाए तो कोई भी बैंक जब अपनी सर्विस शुरू करता है तो उसे कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए अपनी ब्रांडिंग और एडवर्टाइजमेंट पर खर्चा करना होता है, ताकि कम्पेटिटोर से मुकाबला किया जा सके। इसके अलावा भी आप क्या सभी दे रहे हैं और वह दूसरों से बेहतर क्यों है यह लोगों को बताना जरूरी है तभी लोग बैंक की सर्विस लेंगे। इसलिए ज्यादातर बैंक टीवी, अखबार, रेडियो और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर एडवर्टाइजमेंट करवाते हैं, जिसमे लाखों करोड़ों का खर्च आता है। 

अच्छे एम्पलाइज चाहिए होते है

एक छोटी सी ब्रांच में किसी भी बैंक को कम से कम 10 लोग तो चाहिए होते हैं। उस लिहाज से बैंक जैसे-जैसे अपनी सर्विस बढ़ाएगा उसे उतने ही मैन पावर की जरूरत पड़ती है। ब्रांच मैनेजर, लोन कंसलटेंट और कस्टमर सपोर्ट जैसे ढेर सारे एम्प्लाइज की जरूरत पड़ती है। उनकी रिक्रूटमेंट, ट्रेनिंग और सैलरी पर भी बहुत सारा खर्चा आता है। 

तो इस तरीके से बैंकिंग सेक्टर और इससे जुड़े काम का दायरा बहुत बड़ा है। जिसे एक छोटे से आर्टिकल में समेटना आसान नहीं है। ये कुछ जरूरी जानकारियां थी जो हमने आपको बताई है। उम्मीद करते है आपको इससे थोड़ी बोहोत मदद जरूर मिली होगी। 

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